मऊ: टेलीविजन समाचार में दम घुटने से कार में हुई एक मासूम की हृदय विदारक मौत से व्यथित इंटरमीडिएट की छात्रा दाक्षायनी पांडेय ने कार सुरक्षा प्रणाली का एक ऐसा सैद्धांतिक मॉडल तैयार कर दिया है, जिसे देख और सुनकर पूरी दुनिया चकित है। अमेरिका के कैलिफोर्निया की प्रतिष्ठित स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने उच्च शिक्षा के लिए उसे 100 प्रतिशत छात्रवृत्ति दी है। 17 वर्षीय दाक्षायनी सितंबर 2023 में बायो इंजीनियरिंग और इंटरप्रेन्योरशिप की पढ़ाई करने वहां जाएगी।
प्राथमिक विद्यालय से की पांचवी की पढ़ाई
मऊ के दोहरीघाट के किसान दिग्विजय नाथ पांडेय की बेटी दाक्षायनी ने दोहरीघाट के प्राथमिक विद्यालय से पांचवी तक पढ़ाई की। इसके बाद उसने ग्रामीण क्षेत्रों के आर्थिक दृष्टि से कमजोर परिवारों के मेधावी विद्यार्थियों को आवासीय शिक्षा उपलब्ध कराने वाले विद्याज्ञान स्कूल, सीतापुर की प्रवेश परीक्षा पास की।
ये है कार सुरक्षा प्रणाली की खासियत
दाक्षायनी 11वीं में थी, जब उसने अपने शिक्षकों के मार्गदर्शन में 'मिशन प्रोटेक्टर' नाम से ऐसी कार सुरक्षा प्रणाली पर काम शुरू किया जो एमक्यू-135 सेंसर पर आधारित है। यह सेंसर कार्बन डाइआक्साइड के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है। उसका सुरक्षा मॉडल एक माइक्रोकंट्रोलर और एक सर्वो मोटर से जुड़ा है। कार में जैसे ही कार्बन डाइआक्साइड का स्तर बढ़ता है, सेंसर सर्वो मोटर को अलर्ट संदेश भेजता है। सर्वो मोटर तेजी से घूमने लगता है और कार की खिड़कियां स्वयं खुल जाती हैं और दम घुटने से मौत की आशंका खत्म हो जाती है। दाक्षायनी ने आटोमोटिव सुरक्षा प्रणाली के पेटेंट के लिए लिए आवेदन कर दिया है।
आईआईटी दिल्ली में पहले स्थान पर आया था मॉडल
पिता दिग्विजय नाथ पांडेय ने बताया कि दाक्षायनी ने पहली बार अपना मॉडल आईआईटी दिल्ली में आयोजित इंडिया एट 75 नेशनल आइडियाथान-2021 में दाक्षायनी का मॉडल प्रथम स्थान पर रहा था। यहां तक की इवोल्ट नाम की एक ऑटो कंपनी ने दाक्षायनी को अपना ब्रांड अंबेसडर नियुक्त करने की पेशकश भी की थी। उन्होंने बताया कि 12वीं की परीक्षा देने के बाद दाक्षायनी कैलीफोर्निया के लिए रवाना होगी। दाक्षायनी ने बताया कि वह चाहती है कि यह किफायती कार रक्षा प्रणाली सभी कारों में लगे, ताकि फिर किसी मासूम की इस तरह मौत न हो। फिलहाल वह एक प्रोजेक्ट ‘जेनीसाइंस’ पर काम कर रही हैं। यह बाक्स में एक प्रयोगशाला है, जो वास्तविक प्रयोगशाला में गए बिना ही छात्र को विज्ञान सिखाने में सहायक होगा।
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