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5 राज्यों में ठिकाना बदलता रहा असद: दिल्ली में नेता और डॉन अबू सलेम के करीबियों ने भी दी थी पनाह

माफिया अतीक अहमद ने अपने बेटे असद को बचाने के लिए सारे संपर्कों का इस्तेमाल किया था। उमेश पाल हत्याकांड के बाद असद और शूटर गुलाम को सुरक्षित रखना अतीक और अशरफ के लिए चुनौती बन गया था। अतीक ने अंतरराष्ट्रीय माफिया डॉन अबू सलेम के करीबियों के अलावा दिल्ली के एक बड़े राजनेता की मदद भी ली थी। झांसी में उसे जिस जगह ढेर किया गया, वहां उमेश पाल हत्याकांड को अंजाम देने के बाद शूटर गुड्डू मुस्लिम 26 फरवरी को आया था और तीन दिन तक छिपा रहा था।

सूत्रों की मानें तो 24 फरवरी को उमेश पाल की हत्या करने के बाद असद और गुलाम मोटरसाइकिल से प्रयागराज से कानपुर गए थे। कानपुर से दोनों रोडवेज की बस पर सवार होकर नोएडा पहुंचे, जहां असद अपनी पढ़ाई के दौरान कई दिनों तक रह चुका था। नोएडा में खुद को असुरक्षित महसूस करने पर उन्होंने दिल्ली जाने का फैसला लिया। दिल्ली में एक राजनेता ने उसके संगम विहार इलाके में रहने का इंतजाम कराया। 

इस बीच असद मेरठ आया, जहां अतीक के बहनाेई डाॅ. अखलाक ने उसे फरारी के लिए एक लाख रुपये दिए। दिल्ली में 14 मार्च तक रहने के बाद दोनों राजस्थान के अजमेर चले गए। फिर अचानक अशरफ ने बरेली जेल से फेसटाइम के जरिए असद से नासिक जाने को कहा। नासिक पहुंचने के बाद असद और गुलाम पुणे गए, जहां अबू सलेम के एक करीबी ने उनके ठहरने का बंदोबस्त किया। इस बीच महाराष्ट्र पुलिस भी दोनों को तलाश करने लगी। इसकी भनक लगने पर दोनों वापस दिल्ली आ गए। तीन दिन पहले दोनों अचानक झांसी आए थे। पारीछा बिजलीघर के पास गुड्डू मुस्लिम के एक करीबी ने उनको ठहराया। पुलिस सूत्रों की मानें तो असद और गुलाम पुलिस के काफिले पर हमला करने करने की साजिश रच रहे थे। इसके लिए गुड्डू को भी झांसी आना था।

एसटीएफ के अधिकारियों के मुताबिक अतीक अहमद का अबू सलेम से काफी पुराना संबंध है। प्रदेश में वर्ष 2007 में बसपा सरकार बनने पर अतीक के खिलाफ पुलिस ने नजरें टेढ़ी की तो वह भागकर अबू सलेम के पास गया था और कई दिनों तक मुंबई में छिपा रहा। इस बार उसने असद को बचाने के लिए अबू सलेम की मदद ली।

उमेश पाल की हत्या के तीन दिन बाद पुलिस ने ड्राइवर अरबाज को नेहरू पार्क के पास मुठभेड़ में ढेर कर दिया था। इसके बाद पुलिस के हाथ शूटर विजय चौधरी उर्फ उस्मान लगा, उसे भी मुठभेड़ में मार गिराया गया। ध्यान रहे कि उस्मान ने ही उमेश पाल को पहली गोली मारी थी। अब एसटीएफ को वारदात में शामिल तीन अन्य शूटरों गुड्डू मुस्लिम, साबिर और अरमान की तलाश है।

जेल प्रशासन की तमाम सख्ती के बाद भी बरेली जेल में बंद अशरफ लगातार मोबाइल का इस्तेमाल कर रहा है। उमेश पाल की हत्या के बाद अशरफ ही असद और सारे शूटरों को फेसटाइम और व्हाट्सएप कॉल के जरिए लगातार भागने के तरीके बता रहा था। अशरफ ने ही अतीक के इशारे पर दिल्ली और महाराष्ट्र में शूटरों को भेजा था। वहीं उमेश पाल की हत्या की साजिश रचने के दौरान अतीक, अशरफ, शाइस्ता, असद और शूटरों के घंटों तक मोबाइल पर बातचीत के पुख्ता प्रमाण एसटीएफ को मिले हैं।

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