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रिश्ते के भाई संग आपत्तिजनक स्थिति में बेटी; बाप-भाई ने पीट-पीटकर की हत्या...कहा- जरा सा भी पछतावा नहीं

2 साल का प्यार, शादी की जिद, परिवार का विरोध, एक मुलाकात और फिर…दो मर्डर। ये कहानी है गोंडा के धानेपुर थाना क्षेत्र के एक गांव में रहने वाले एक प्रेमी-प्रेमिका की। दोनों के प्यार को लेकर घर में लड़ाई-झगड़ा तो पहले भी होता रहता था। लेकिन एक रात लड़की के भाई ने अपनी बहन को उसके प्रेमी के साथ जिस हालत में देखा, वो ये बर्दाश्त नहीं कर पाया। उसने गुस्से में दो हत्याओं को अंजाम दे दिया। इस पूरी वारदात में लड़की का पिता भी शामिल रहा।

इस घटना के बाद पुलिस ने लड़के पक्ष की तहरीर पर केस दर्ज कर लिया। पुलिस ने पिता और भाई को मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया। दोनों से पूछताछ की, तो उन्होंने अपना जुर्म कबूल कर लिया। पिता और भाई दोनों को अपनी बेटी की हत्या करने का जरा सा भी पछतावा नहीं है। उनका कहना है, अगर हम उसको नहीं मारते तो वो हमारी इज्जत खत्म कर देती। इसलिए ये करना जरूरी था।

दोनों आरोपियों ने पुलिस पूछताछ में 21 अगस्त की रात का पूरा घटनाक्रम बताया। उन लोगों ने किस हालत में अपने घर की बेटी को देखा और कैसे दोनों को मारने के बाद उनकी लाशों को ठिकाने लगाया। साथ ही 2 साल के अफेयर की कहानी भी सुनाई...

गोंडा में सोमवार देर रात ऑनर किलिंग की दिल दहलाने वाली वारदात हुई थी। यहां प्रेमी-प्रेमिका को आपत्तिजनक स्थिति में पकड़े जाने पर उनकी पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। वारदात के बाद लड़के की लाश घर से डेढ़ किलोमीटर दूर गन्ने के खेत में फेंक दी गई थी। जबकि लड़की की लाश को 20 किलोमीटर दूर अयोध्या में रातों-रात दफन कर दिया गया था। यह भी पढ़े- प्रयागराज में चाकू से 16 वार कर पत्नी को उतारा मौत के घाट; थाने में ठहाके लगाता रहा हत्यारा पति

इस खौफनाक वारदात को लड़की के परिवार वालों ने उस वक्त अंजाम दिया, जब युवक अपनी प्रेमिका से मिलने उसके घर पहुंचा था। इस दौरान घरवालों ने लड़के को पकड़ लिया। उसको बुरी तरह से पीटना शुरू कर दिया। लड़की उसे बचाने आई, तो उसे इतना पीटा कि उसकी मौत हो गई। पुलिस ने लड़के और लड़की के शव को बरामद कर लिया है। प्रेमी का नाम सतीश चौरसिया (19) है। प्रेमिका का नाम आरती चौरसिया (18) है। मारने वाले पिता का नाम कृपाराम और भाई राघव राम है।

राघव ने पुलिस को बताया, ''21 अगस्त की रात को मैं घर आया, तो आरती और मां खाना बना रही थीं। पिता बैठे हुए थे। मैं जाकर पिता के पास बैठ गया। हम लोग कामकाज को लेकर बातें कर रहे थे। कुछ देर बाद खाना तैयार हो गया, तो मां ने आवाज लगाकर मुझको और पापा को बुला लिया। पापा और मैं हाथ साफ करके खाना खाने पहुंच गए। किचन के पास बैठकर हम चारों ने खाना खाया। हम लोग आपस में बात कर रहे थे, लेकिन आरती कुछ नहीं बोल रही थी।

क्योंकि वह हम लोगों से नाराज थी। हम लोग उसको 1 हफ्ते से घर से बाहर नहीं निकलने दे रहे थे। दरअसल, वो अपने प्रेमी सतीश से चोरी-चुपके मिलती थी। जिसकी जानकारी हम लोगों को हो गई थी। इस वजह से उस पर रोक लगाई थी। उसकी वजह से गांव में हमारी बदनामी हो रही थी। गांव के लड़के से ही उसका अफेयर था। जो हमें बर्दाश्त नहीं था। लेकिन ये बात आरती नहीं समझ पा रही थी। वह तो उसके साथ शादी करने की जिद पर अड़ी हुई थी।''

"सतीश के साथ जिस हालत में थी, वो मैं नहीं बता सकता"

''खैर, उस रात हम लोग खाना खाने के बाद सोने चले गए। कुछ देर लेटने के बाद मुझे उलझन हुई, तो मैं बाहर आ गया। बाहर टहलने के बाद मैं आरती के कमरे की ओर गया, तो वह वहां नहीं थी। मैं मां के पास गया, वह वहां पर भी नहीं थी। उसके बाद मैंने घर में सबको उठा दिया। बदनामी के डर से हम लोगों ने शोर नहीं मचाया।

पहले तो आरती को घर में ढूंढा फिर बाहर गांव में निकल गए, लेकिन वह कहीं नहीं मिल रही थी। हम लोग समझ गए थे कि वह सतीश के साथ ही होगी। मैं उसको ढूंढते हुए अपने घर के पीछे पहुंचा, तो मेरा खून खौल गया। मेरी बहन सतीश के साथ जिस हालत में थी, वो मैं नहीं बता सकता। लेकिन मैंने जो देखा, वो बर्दाश्त नहीं कर पाया। मैंने पापा-मम्मी को मौके पर बुला लिया।''

''उसके बाद पास पड़ा डंडा उठाया और सतीश को मारने लगा। सतीश को पिटता देख मेरी बहन बीच में आ गई। यह देखकर मेरा गुस्सा और बढ़ गया। मैंने सतीश को छोड़कर अपनी बहन को मारना शुरू कर दिया। उसके सिर पर 4-5 बार डंडा मारा, जिससे वह बेहोश हो गई। लेकिन मैं उसको उसके बाद भी मारता रहा। फिर रस्सी से उसका गला कस दिया। बहन को मारने के बाद मैंने और पिता ने मिलकर सतीश को मार-मारकर अधमरा कर दिया। फिर उसका गला भी रस्सी से कस दिया।''

''जब हम लोगों को लगा कि दोनों मर गए हैं, तो लाश को ठिकाने लगाने के बारे में हम लोग सोचने लगे। फिर हमने तय किया कि सतीश के शव को यहीं चारपाई में लिटाकर जंगल में छुपा देंगे। आरती के शव को अयोध्या में दफना आएंगे। कोई पूछेगा तो बता देंगे कि वह रिश्तेदारी में गई है। सतीश के शव को छिपाने के बाद हम लोग कार से आरती के शव को लेकर 20 किलोमीटर दूर अयोध्या पहुंचे। वहां अयोध्या में सरयू नदी के किनारे श्मशान घाट पर दफना दिया और घर लौट आए।

लेकिन मंगलवार सुबह सतीश के घर पर नहीं मिलने पर उसके परिवार वालों ने उसको बहुत ढूंढा। जब उनको पता चला कि आरती भी घर पर नहीं है, तो उन लोगों ने पुलिस को सूचना दे दी। वो लोग भी सतीश और आरती के रिश्ते के बारे में जानते थे। जब पुलिस गांव आई, तो उन लोगों ने शक के आधार पर मुझे और मेरे पिता को हिरासत में ले लिया। पहले तो हम लोग पुलिस के सामने झूठ बोलते रहे, लेकिन फिर पुलिस की सख्ती के आगे हम टूट गए और सारा सच बता दिया।''

पिता ने बताया, ''हमारे यहां गांव के लड़के से शादी नहीं होती है और वह लड़का हमारे गांव का ही था। ऊपर से वह आरती का भाई लगता था, हमारी जाति का ही था। आरती किसी दूसरे गांव के लड़के से बोलती, तो हम लोग उसकी शादी करवा देते। लेकिन सतीश से शादी जिंदगी में नहीं हो सकती थी। वह बचपन से घर आता-जाता था। दोनों साथ खेले, बड़ा भाई कहते थे हम लोग उसको आरती का…कैसे ये रिश्ता मंजूर कर लेते? 20 मीटर की दूरी पर सतीश का घर था। रोज का आमना-सामना होता था हम लोगों का उससे।

''3-4 महीने पहले दोनों को गांव के एक युवक ने साथ देख लिया था। दोनों बाहर कहीं साथ में बैठे हुए थे। तब उसने हम लोगों को मामले की जानकारी दी, तो आरती को घर पर बहुत मारा गया था। उसको सख्ती से मना किया था कि अब कभी सतीश के पास मत जाना। लेकिन वो हफ्ते भर पहले उससे फिर मिलने चली गई। जिसके बाद हम लोगों ने उसके घर से निकलने पर बिल्कुल पाबंदी लगा दी थी। लेकिन उसने सतीश को घर बुला लिया। अगर हम अपनी बेटी को नहीं मारते, तो वह हमें मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ती।''

इस मामले में पुलिस अधीक्षक अंकित मित्तल का कहना है, ''सोमवार को लड़के के परिजनों ने गुमशुदगी की रिपोर्ट कराई थी। इसके बाद धानेपुर पुलिस लड़के के घर पहुंची थी। पूछताछ में पता चला कि सतीश का एक लड़की से अफेयर चल रहा था। वह उससे मिलने गया था।

जब हम लोग उस लड़की के घर पहुंचे तो वो वहां पर नहीं थी। हमने उसके भाई और पिता को हिरासत में ले लिया। उन लोगों से सख्ती से पूछताछ की तो सारा सच बता दिया। उनकी निशानदेही पर दोनों का शव भी बरामद कर लिया है। दोनों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।''

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