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IPS अमित लोढ़ा बुरे फंसे, खाकी वेब सीरीज से ब्लैकमनी सफेद की; सस्पेंशन की लटकी तलवार


नेटफ्लिक्स की खाकी: द बिहार चैप्टर वेब सीरीज में चर्चा में आए आईपीएस अधिकारी अमित लोढ़ा के खिलाफ भ्रष्टाचार के माध्यम से संपत्ति एकत्र करने का मामला दर्ज किया गया है. मामला दर्ज करने के बाद एसवीयू (विशेष निगरानी इकाई) ने जांच शुरू कर दी है. ताकि पता चल सके कि 1998 बैच के आईपीएस अधिकारी ने अपनी वास्तविक आय से कितनी अवैध संपत्ति जमा किए. जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ कि अमित लोढ़ा की तरफ से सरकार को जो संपत्ति का विवरण दिया जाता है, उसमें उन्होंने अपनी कमाई की इन माध्यमों का उल्लेख ही नहीं किया है.

उन्होंने वेब सीरीज के जरिए अपनी काली कमाई को सफेद करने का काम किया है. जल्द ही आयकर विभाग से भी संपर्क करके इनकी वर्ष वार आयकर रिटर्न से संबंधित विस्तृत रिपोर्ट लेगी, इससे यह स्पष्ट हो जाएगा कि उन्होंने आयकर रिटर्न में भी वास्तविक रूप से कितनी आय को छुपाया है. वास्तविक आय को गलत बताकर आईपीएस अमित लोढ़ा ने इनकम टैक्स भी कम दिया है. इसके साथ ही लिया होने वाली कमाई पर टैक्स भी नहीं दिया है. इसके अलावा उनके पास मौजूद कुछ जमीन और पत्नी के नाम पर मौजूद बैंक खातों का उल्लेख भी नहीं किया है.

 

आईपीएस अधिकारी अमित लोढ़ा ने पत्नी कौमुदी लोढ़ा के नाम पर मौजूद इन बैंक खातों में लाखों की कमाई को सफेद करने का खेल किया इसमें फिल्म बनाने वाली फ्राइडे स्टोरी टेलर प्राइवेट लिमिटेड के अलावा कई अन्य कंपनियों से कई बार लाखों रुपए आए सिर्फ इस फिल्म निर्माण कंपनी की तरफ से 27 दिसंबर 2027 को साडे ₹400000 और 26 मार्च 2018 को ₹675000 ट्रांसफर किए गए प्रोडक्शन हाउस ने मार्च 2019 से सितंबर 2019 के बीच 3825000 रुपए कौमुदी लोढ़ा के अकाउंट में ट्रांसफर किया आईपीएस अमित लोढ़ा ने अपनी काली कमाई को सफेद करने के लिए वेब सीरीज ऑफ सेल बनाने वाली कंपनियों को माध्यम बनाएं. 

इन्हें ब्लैक मनी देखकर फिर इससे फिल्म प्रोडक्शन के नाम पर लाखों रुपए पत्नी समेत अन्य की बैंक खातों में ट्रांसफर करवा ली है, ताकि यह दिखाया जा सके कि वेब सीरीज बनाने की एवज में इन्हें और इन्हीं उनकी पत्नी को पैसे मिले हैं इसी चक्कर में नवंबर 2018 से फरवरी 2022 के बीच फ्राइडे स्टोरी ट्रेलर और लॉस टैटूज ऑफ़ प्रोडक्शन सर्विस इंडिया एलएसपी से कई समझौते किए गए. इसके बाद इन कंपनियों के खाते में इनके पास कई बार पैसे ट्रांसफर किए गए यह राशि ₹50 लाख से अधिक है.

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