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किन्नर और युवक का प्रेम चढ़ा परवान; भैरव बाबा को साक्षी मानकर दोनों ने रचाई शादी


आजमगढ़: जिले के महाराजगंज ब्लॉक स्थित भैरव धाम परिसर में एक किन्नर और एक लड़के का प्रेम परवान चढ़ा और वे दोनों भैरव बाबा को साक्षी मानकर एक दूजे के होते हुए परिणय सूत्र में बंध गए।

बता दें कि जलपाईगुड़ी, वेस्ट बंगाल के निवासी मुस्कान नाम की किन्नर विगत 2 साल पूर्व मऊ जिले में एक नृत्य कार्यक्रम के लिए आई थी। जहां उसकी मुलाकात मऊ के थाना मोहम्मदाबाद में देवसीपुर पोस्ट टेकई के रहने वाले वीरू राजभर से हुई। पहली मुलाकात में ही दोनों एक दूसरे को अपना दिल दे बैठे। पिछले लगभग डेढ़ साल से वीरू और मुस्कान वीरू के घर ही रहने लगे। इस बीच दोनों का प्यार और भी प्रगाढ़ हुआ और मन ही मन दोनों एक दूसरे का हमसफर बनने को राजी हो गए। सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि वीरू और मुस्कान के इस संबंध से उसके परिवार को भी कोई आपत्ति नहीं है। वही परिवार के आशीर्वाद और सहमति से आज दोनों ने भैरव बाबा को साक्षी मानकर उनके समक्ष एक दूसरे का दामन थाम लिया और परिणय सूत्र में बंध गए।

भारतीय समाज में किन्नरों की स्वीकार्यता

भारत में किन्नरों को सामाजिक तौर पर बहिष्कृत ही कर दिया जाता है। उन्हें समाज से अलग-थलग कर दिया जाता है। इसका मुख्य कारण यह है कि उन्हें न तो पुरुषों में रखा जा सकता है और न ही महिलाओं में, जो लैंगिक आधार पर विभाजन की पुरातन व्यवस्था का अंग है। यह भी उनके सामाजिक बहिष्कार और उनके साथ होने वाले भेदभाव का प्रमुख कारण है। इसका नतीजा यह है कि वे शिक्षा हासिल नहीं कर पाते। बेरोजगार ही रहते हैं। भीख मांगने के सिवा उनके पास कोई विकल्प नहीं रहता। सामान्य लोगों के लिए उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं का लाभ तक नहीं उठा पाते।

इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने 19 जुलाई 2016 को ट्रांसजेंडर पर्सन्स (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) बिल 2016 को मंजूरी दी थी। भारत सरकार की कोशिश इस बिल के जरिए एक व्यवस्था लागू करने की थी, जिससे किन्नरों को भी सामाजिक जीवन, शिक्षा और आर्थिक क्षेत्र में आजादी से जीने के अधिकार मिल सके। आज हुई इस शादी से यह तो कहा जा सकता है कि लंबे समय से सरकार द्वारा किन्नरों को मुख्य धारा से जोड़ने की कोशिश सफल होती नजर आ रही है।

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